हमारा काशी | वाराणसी | पुरानी रंजिश को लेकर कार से कुचलकर वृद्ध पर जानलेवा हमला करने के मामले अरुण कुमार दुबे को कोर्ट से राहत मिल गई। विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) रवींद्र कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने सुरही, फूलपुर निवासी अरुण कुमार दूबे को एक-एक लाख रुपए की दो जमानतें एवं बंधपत्र देने पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव, नरेश यादव व चंद्रबली पटेल ने पक्ष रखा।
झूठा प्रार्थना पत्र पर वादी विजय कुमार पाण्डेय ने एसीपी पिंडरा वाराणसी को देकर फूलपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप लगाया था कि वह 30 मार्च 2024 को अपने पिता रविन्द्र कुमार पाण्डेय के साथ बाइक से एसडीएम पिंडरा के कार्यालय में गए थे। वहां से वापस लौटते समय वह लोग जैसे ही कैथोली गांव के समीप पहुंचा, तभी पीछे से आ रही इंडिगो कार ने उसके पिता की बाइक में जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर लगते ही पिता-पुत्र दोनों बाइक समेत सड़क पर गिर कर गंभीर रूप से घायल हो गए। इस दौरान कार चला रहे अरुण कुमार दूबे, उसके पुत्र आशुतोष एवं अश्वनी उसे और उसके पिता को गालियां देते हुए पुनः जान से मारने की नियत से कार को पीछे करके बाइक पर चढ़ाकर उसे घिसते हुए लेकर भागने लगे। इस पर गांव वालों ने शोर मचाया तो वह लोग जान से मारने की धमकी देते हुए वहां से भाग निकले।
अदालत में बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई कि वादी मुकदमा का अरुण कुमार दुबे से जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। इसी रंजिश में फर्जी मुकदमा दर्ज करवा कर दबाव बनवाया जा रहा है। साथी अरुण कुमार दुबे का पुत्र पिंडरा तहसील व वाराणसी कचहरी में वकालत करता है। घटना वाले दिन अरुण कुमार दुबे अपने छोटे पुत्र अश्वनी के साथ पिंडरा तहसील में था। तथा बड़ा पुत्र आशुतोष कचहरी वाराणसी व अपने चेम्बर मेहता नगर कॉलोनी शिवपुर । जिसकी रिकार्डिंग भी वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद है व उसके गवाह अधिवक्तागण हैं | अदालत ने पत्रावली के अवलोकन के बाद अरुण कुमार दुबे को जमानत दे दी।
विवरण
ACP पिंडरा वाराणसी के आदेश पर दिनांक 2 अप्रैल 2024 को थाना फूलपुर वाराणसी में लिखा गया झूठा मुकदमा अपराध संख्या 72/2024 अन्तर्गत धारा 307,504,506, आईपीसी |
स्थानीय पुलिस गुंडागर्दी से मुकदमा दर्ज होने के पहले दिनांक 31 मार्च 2024 को स्थानीय पुलिस वाहन संख्या UP65DT8920 को लेकर चले गये |
उपरोक्त मुकदमा दर्ज होने के बाद दिनांक 3 अप्रैल 2024 को धारा 307 आईपीसी का विलोप हुआ तथा धारा 279,337 आईपीसी परिवर्तित हो गया|
तीन विवेचना अधिकारी कर चुके हें विवेचना किये लेकिन किसी भी प्रकार का कोई सबूत नहीं मिला जिससे यह साबित नहीं हुआ की वाहन से एक्सीडेंट हुआ हैं या नहीं |
लेकिन वर्तमान विवेचना अधिकारी ने मोटी रकम लेकर उलट फेर कर के विवेचना कर रहे थे जिसके सम्बन्ध में अरुण कुमार दुबे व उनके पुत्रो ने उच्च अधिकारीयो को विवेचना अधिकारी के खिलाफ शिकायती लिखित प्रार्थना पत्र दिया था | जिसमे उपरोक्त मुकदमा का जांच सीबीआई से होनी चाहिए की बात कही गयी थी |
अरुण कुमार दुबे व अश्वनी कुमार दुबे व गुलाब यादव ने दिया था प्रार्थना पत्र
दिनांक 1 अप्रैल 2024 को SHO फूलपुर, ACP पिंडरा, IGRS, ग्रामीण न्यायालय पिंडरा वाराणसी को दिया गया प्रार्थना पत्र |
अरुण कुमार दुबे व उनके पुत्रों का पुलिस प्रशासन से सवाल
1. मुकदमा दर्ज होने के पहले दिनांक 31 मार्च 2024 को वाहन UP65DT8920 थाना फूलपुर की पुलिस घर से लेकर आयी और अधिवक्ता के घर के अंदर भी घुसी जो घर पर लगे CCTV कैमेरा में सेव है|तथा पुलिस ने GD NO 44 में दिनांक 3 अप्रैल 2024 समय 18:08 पर वाहन UP65DT8920 थाने पर आया बताये है, वो कॉपी संलग्न हैं |
2. ग्रमीण न्यायलय पिंडरा वाराणसी में दिनांक 1 अप्रैल 2024 को थाने से वाहन उपरोक्त का आख्या हेतु प्रार्थना पत्र दिया गया उपरोक्त प्रार्थना पत्र में भी थाना से रिपोर्ट गलत आया |
3. उपरोक्त वाहन के सम्बन्ध में प्रार्थना पत्र वाराणसी न्यायालय में दिया गया उसमे थाना से 203 की रिपोर्ट में अश्वनी कुमार दुबे को वाहन स्वामी तक बना दिया गया , वो भी कॉपी संलग्न हैं |
4. जिस व्यक्ति ने एक्सीडेंट अपना बताया था वह कचहरी वाराणसी में घूम रहा हैं अपने पैरो पर जिसकी वीडियो क्लिप संलग्न हैं |
5. सीडीआर लोकेशन के अनुसार आशुतोष कुमार दुबे वाराणसी व अरुण कुमार दुबे, अश्वनी कुमार दुबे पिंडरा था तब उपरोक्त मुकदमा में FR क्यों नहीं लगा | वो भी कॉपी संलग्न हैं |
6. क्या अब तक के समपूर्ण बयानों में किसी ने जब एक्सीडेंट होते नहीं देखा तब भी तो उपरोक्त मुकदमा में FR क्यों नहीं लगा |
7. जब विवेचक को बोला था की वादी मुकदमा के घर का CCTV, तहसील पिंडरा, हॉस्पिटल, लो जिससे यह मालूम हो सके की जिस गाड़ी में एक्सीडेंट होना वताया गया था वह घर पर गयी थी या नहीं मेरा वाहन तो 31 मार्च 2024 को घर से लेकर चले गये वादी मुकदमा का क्यों नहीं लाय गया वाहन |
8. उपरोक्त मुकदमा दर्ज होने के बाद से विवेचक से बात चीत हुआ फिर भी विवेचक ने धारा बदला हुआ का जिक्र क्यों नहीं किया उपरोक्त वार्तालाप की रिकॉर्डिंग मेरे पास उपलब्ध है |
9. उपरोक्त मुकदमा की विवेचना अब तक 4 विवेचक अधिकारी ने मिलकर किया, लेकिन वादी मुकदमा के कथन के अनुसार FR क्यों नहीं लगाए |
10. वर्तमान विवेचक ने सीडीआर लोकेशन व वादी मुकदमा का कथन का मिलान नहीं किया|
11. उपरोक्त मुकदमा में फेर बदल की बात को लेकर संयुक्त पुलिस आयुक्त को पर्थना पत्र दिया गया तो उसपे करायवाही क्यों नहीं हुई, क्योंकि वह जांच उसी अधिकारी के पास गया जिसमे वह भी समलित थे | वो भी प्रार्थना पत्र संलग्न हैं |
12. हम श्रीमान जी से निवेदन करता हुँ की उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उपरोक्त विषय पर विचार करें |
13. श्रीमान जी हम प्राथीगण जब आपको कोई प्रार्थना पत्र देते हैं तो आपसे न्याय की उम्मीद रहता हैं, लेकिन आपके द्वारा न जांच कर उसी अधिकारी के पास जाता हैं जिसके लिए शिकायत किया हैं उसके पास फिर किस प्रकार से न्याय की उम्मीद करें सर |
14. श्रीमान जी उपरोक्त तथ्यों के आधार पर श्रीमान जी आप जांच करें वरना निर्दोष व्यक्ति को सजा हो जाएगी |
अरुण कुमार दुबे व पुत्रों का दावा
उपरोक्त मुकदमा दर्ज मात्र मेरे जमीन पर कब्जा करने के उद्देश से किया गया, जबकि प्राथी व प्राथी के परिवार ने न्यायालय में मुकदमा पहले से किया है जो इस प्रकार है-
1. आशुतोष कुमार दुबे “अधिवक्ता” ने रविन्द्र कुमार पांडेय व अन्य 7 के खिलाफ थाना फूलपुर में अपराध मुकदमा संख्या 131/2023 धारा 420,504,506,147,352 आईपीसी दर्ज़ किया |
2. न्यायालय सिविल जज हवली वाराणसी में मुकदमा नंबर 862/23 अरूण बनाम रविन्द्र दर्ज है जिसमें नियत तिथि 23/12/2024 है
3. दिनांक 21 मार्च 2024 पुनः जमीन पर कब्जा करने के उद्देश से आए थे उस विषय में थाने पर प्रार्थना पत्र दिया, ACP पिंडरा को पर प्रार्थना पत्र दिया, दिनांक 27 मार्च 2024 को पुलिस आयुक्त महोदय को प्रार्थना पत्र दिया, फिर सीजेएम कोर्ट में 156/3 दाखिल किया जिसमें परिवाद दर्ज हुआ |
उपरोक्त मुकदमा की जांच सीबीआई से कराने हेतु माननीय मुख्यमंत्री से मिलकर ज्ञापन अधिवक्तागण जल्द ही देंगें |